मायावती की इस बड़ी घोषणा ने सहयोगी ही नहीं विरोधियों को भी चौंकाया

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मायावती की इस बड़ी घोषणा ने सहयोगी ही नहीं विरोधियों को भी चौंकाया

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राकेश पाण्डेय 

लखनऊ। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने पार्टी को लेकर अहम घोषणा की है, मायावती ने कहा की जब तक नए मीडिया सेल का गठन नहीं हो जाता तब तक कोई भी पार्टी का प्रवक्ता नहीं है। 

' ऐसे में लोकसभा और उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव से पहले मायावती की इस घोषणा ने सबको चौंका कर रख दिया है, मायावती ने शुक्रवार यानी 17 मार्च को ट्वीट कर ये घोषणा ('बीएसपी द्वारा पार्टी के मीडिया सेल का पुनर्गठन प्रस्तावित है। 

इस परिस्थिति में नए मीडिया सेल का गठन होने तक अब कोई पार्टी का प्रवक्ता नहीं है अतः श्री धर्मवीर चौधरी सहित पार्टी के जो भी लोग मीडिया में अगर अपनी बात रखते हैं तो वह उनकी निजी राय होगी, पार्टी का अधिकृत वक्तव्य नहीं।'

आखिर बसपा सुप्रीमो के इस फैसले के क्या है मायने

मायावती के इस फैसले को लेकर उन पर और पार्टी पर तरह-तरह कयास लगाए जा रहे हैं, लेकिन मुख्य तौर पर यह माना जा रहा है कि उनके इस बयान के पीछ का कारण हाल ही में बीएसपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मवीर चौधरी के द्वारा किया हुआ एक ट्वीट है।बता दे कि चौधरी ने माफिया अतीक अहमद के परिवार का बचाव करते हुए सीबीआई जांच की मांग को लेकर एक ट्वीट किया था, उन्होंने ट्वीट कर लिखा था की उमेश पाल हत्याकांड में बीएसपी नेता शाइस्ता परवीन सीबीआई जांच की मांग कर रही हैं तो सरकार को न्याय हित में सीबीआई जांच करानी चाहिए, इससे क्यों सरकार भाग रही है, उनके इस बयान के बाद बीएसपी को लेकर कई सवाल खड़े हुए थे, और विपक्ष ने पार्टी को घेरा था।

इससे पहले बुधवार यानी 15 मार्च को मायावती ने समाजवादी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस को घेरते हुए उन्हें 'घोर जातिवादी' तथा 'आरक्षण विरोधी' बताया था, सपा पर जमकर निशाना साधते हुए मायावती ने कहा कि सिर्फ दुर्भावनापूर्ण आरोप लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा क्योंकि उत्तर प्रदेश और देश की जनता देख रही है कि कौन किस पार्टी की 'बी' टीम है और अभी भी वैसे ही काम कर रही है।

मायावती ने बसपा संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की उसके बाद 'चुनावी सफलता और सत्ता की मास्टर चाबी हासिल कर के विरोधियों को जवाब देने' का आह्वान भी किया, 

उन्होंने बसपा मुख्यालय पर कांशीराम को पुष्पांजलि अर्पित किया था, जिसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि कांशीराम और उनके अनुयायियों का अपमान किया गया है।