तिहरा हत्या कांड: मातम का माहौल, फोर्स तैनात, खानदानी रोक सकते थे हत्या कांड
विनोद मिश्रा
बांदा। शहर के चमरौडी मोहल्ले में तिहरे हत्या कांड में सिपाही, मां और बहन की हत्या के बाद मृतक और आरोपी दोनों के ही घरों में मातम का माहौल है। कांस्टेबल के घर में मात्र बड़ा भाई सौरभ ही बचा है। फिलहाल उसके घर पर ताला है। अभियुक्तों के घर में बूढ़ी महिला और दो बेटियां हैं। अभिजीत का भाई सौरभ दूसरे दिन भी गहरे सदमे में रहा। उसे लोग आकर सांत्वना देते रहे। उधर, मोहल्ले में पुलिस फोर्स तैनात रही।
चमरौडी मोहल्ले में शुक्रवार की रात बगल में ही रहने वाले चचेरे भाइयों ने अपने सालों आदि के साथ कांस्टेबल अभिजीत उर्फ गोल्डी वर्मा, उसकी बहन निशा और मां रमा देवी की धारदार हथियारों से ताबड़तोड़ हमला कर हत्या कर दी थी। इस तिहरे हत्याकांड से पूरा इलाका सहम गया। अभिजीत का बड़ा भाई पीएसी में प्रशिक्षु कांस्टेबल है।
उसने चचेरे भाइयों और भाभी आदि सहित 15 खानदानियों को नामजद और दो अज्ञात के विरुद्ध हत्या सहित कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई है। घटना के बाद से ही मौके पर पुलिस तैनात है। मृतक और हत्या आरोपियों के मकान अगल-बगल हैं। रविवार को भी सीओ आलोक मिश्रा और कोतवाल दिनेश सिंह पुलिस फोर्स के साथ घटनास्थल पर पहुंचे और मृतक सिपाही और आरोपियों के मकानों का जायजा लिया। आरोपियों के घर आरोपी देवराज की दो बेटियां शीतल, संजना और दूसरे चचेरे भाई शिवपूजन की सास जहरी हैं। उधर, दूसरे दिन आसपास की दुकानें आमदिनों की तरह खुली रहीं, लेकिन हरेक की जुबान पर तिहरा हत्याकांड की ही चर्चा रही।
माना जा रहा हैं की खानदान के लोग हस्तक्षेप करते तो शायद यह होता हत्याकांड न हुआ होता।सिपाही अभिजीत के भाई सौरभ कहता हैं कीखानदान के लोग हस्तक्षेप करते तो शायद मेरा भाई, मां और बहन आज जिंदा होते। बताया कि चचेरे भाइयों की हरकतों की शिकायत उसने कई बार खानदानियों से की, लेकिन किसी ने नहीं सुनी।
अभिजीत के सिपाही बनने के बाद मकान बन गया था। उधर, आरोपी चचेरे भाइयों को प्रधानमंत्री आवास योजना से मिली धनराशि से एक मकान बन चुका है और दो निर्माणाधीन हैं। इन्हीं आवासों के निर्माण में कुछ इंच जमीन को लेकर अभिजीत और चचेरे भाइयों में विवाद हुआ था।
तन्हा रह गईं शीतल और संजना
बांदा। दोनों परिवारों का कोई पुरसाहाल नहीं बचा। सिपाही अभिजीत के यहां मात्र उसका बड़ा भाई सौरभ बचा है।सभी चचेरे भाइयों, भाभियों, मामा-मामी और भतीजों आदि के नामजद होने पर पुलिस द्वारा उठा लेने से महिलाएं ही बची हैं।
तिहरे हत्याकांड के 36 घंटे से ज्यादा बीत जाने के बाद भी रिपोर्ट में नामजद और अज्ञात सभी 17 आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगे हैं, लेकिन करीब 13 लोगों के पुलिस के हत्थे चढ़ जाने की खबर है। ये सभी नामजद बताए गए हैं, फिलहाल पुलिस इसकी पुष्टि नहीं कर रही है।
दूसरी ओर हत्याकांड के मास्टर माइंड कहे जाने वाले आरोपी सोमचंद्र मृतक सिपाही के चचेरे भाई देवराज का साला के बारे में यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि फरार है या पुलिस की गिरफ्त में। सामूहिक हत्याओं में सोमचंद्र के साथियों सहित शामिल रहने और सारा प्लान उसी के द्वारा तैयार किए जाने की बात कही जा रही है।
सीनियर अधिवक्ता फौजदारी आदित्य सिंह कहते हैं की पुलिस जवान और उसके परिवार के दो सदस्यों की एक साथ हत्या सामूहिक नरसंहार की श्रेणी में आती है। पुलिस की तफ्तीश और चार्जशीट मजबूत हुई तथा ठोस गवाह पेश किए गए तो अदालत हत्याभियुक्तों को दोष सिद्ध होने पर सजाए मौत या उम्रकैद की सजा दे सकती है। इनके अलावा हमले में हुए घायलों की गवाही भी मुख्य रोल में होगी।