उत्तराखंड में जमरानी बांध विस्थापितों को मुआवजा मिलने का रास्ता हुआ साफ
देहरादून/हल्द्वानी | उत्तराखंड में जमरानी बांध बनने से प्रभावित ग्रामीणों के विस्थापन और मुआवजे की स्थिति नए साल से पहले लगभग साफ हो जाएगी। जनवरी में आपत्तियों का निस्तारण कर श्रेणीवार लाभ दिए जाने के ऑर्डर जारी हो जाएंगे। इसे लेकर उत्तराखंड परियोजना विकास एवं निर्माण निगम (यूपीडीसीसी) और जिला प्रशासन ने पुनर्वास एवं पुनरुथापन स्कीम (आरएंडआर) पर काम शुरू कर दिया है। इसके तहत डूब क्षेत्र के लोगों को दिए जाने वाले लाभों का खाका नीति के अनुसार तैयार किया जाएगा। राज्य कैबिनेट के बाद राजभवन से जमरानी बांध पुनर्वास नीति पर मुहर लग चुकी है। परियोजना इकाई ने डूब क्षेत्र में आ रहे 6 गांवों का अंतिम सर्वे भी पूरा कर लिया है। प्रभावितों की सूची और जमीन का रिकॉर्ड सत्यापित होने के बाद आरएंडआर स्कीम पर काम शुरू कर दिया है।
बांध बनने से 1,323 परिवार डूब क्षेत्र में आ रहे हैं। नीति के अनुसार प्रभावितों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि दिसंबर माह में लाभ वितरण का खाका तैयार हो जाएगा। इसके बाद ग्रामीणों की आपत्तियां मांगने के लिए आरआर योजना ड्राफ्ट रखा जाएगा।
आरएंडआर स्कीम एडीएम प्रशासन की अध्यक्षता वाली समिति बना रही है। स्कीम फाइनल करने और ग्रामीणों की आपत्तियों का निस्तारण कर इसे जिलाधिकारी के पास संसोधन के लिए पेश किया जाएगा। डीएम के अध्ययन के बाद इसे कुमाऊं आयुक्त को भेजा जाएगा।
आयुक्त के अनुमोदन के बाद स्कीम फाइनल होगी। उसके बाद मुआवजा वितरण आदेश जारी होगा। वहीं जमरानी बांध प्रभावितों के विस्थापन को किच्छा के प्राग फार्म में जमीन चिन्हित की गई है। परियोजना इकाई ने प्रस्तावित क्षेत्र का निरीक्षण और ग्राफिक सर्वे कराया है।
श्रेणी 1 में 1 एकड़ जमीन, 200 वर्ग मीटर भूखंड, पुनर्वास के लाभ, डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन और मकान का मुआवजा मिलेगा, श्रेणी 2 में 1 एकड़ जमीन की एवज में धनराशि, डूब क्षेत्र में आने वाली जमीन का मुआवजा, पुनर्वास के लाभ मिलेंगे। श्रेणी 3 में इंदिरा आवास योजना के तहत 50 वर्ग मीटर भूखंड में मकान, पुनर्वास के भत्ते दिए जाएंगे।
यूपीडीसीसी के अधिशासी अभियंता बीबी पांडे ने कहा कि आरएंडआर स्कीम को लेकर काम चल रहा है। स्कीम तैयार होने के बाद इसे ग्रामीणों के समक्ष रखा जाएगा और आपत्तियों का निस्तारण कर रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी। कुमाऊं आयुक्त के अनुमोदन के बाद स्कीम फाइनल होगी।