आत्मनिर्भर उत्तराखंड की नई उड़ान, महिलाओं को सशक्त बनाने की पहल

देहरादून में एक नई क्रांति की शुरुआत हो रही है, जहां हौसले बुलंद हैं और सपने हकीकत में बदल रहे हैं। जिला प्रशासन के नेतृत्व में डीएम सविन बंसल ने मुख्यमंत्री के आत्मनिर्भर इजा-बेणी (माता-बहन) के संकल्प को साकार करने की दिशा में एक अनूठा कदम उठाया है। कलेक्ट्रेट, कोरोनेशन अस्पताल और पर्यटन स्थल गुच्चुपानी में आधुनिक हिलांस आउटलेट्स की स्थापना इसका जीवंत उदाहरण है। ये आउटलेट्स न केवल स्थानीय महिलाओं को रोजगार दे रहे हैं, बल्कि उत्तराखंड के पहाड़ी उत्पादों को भी बाजार तक पहुंचा रहे हैं। आइए, इस प्रेरणादायक पहल के बारे में विस्तार से जानें।
हिलांस आउटलेट्स: महिलाओं के लिए नई उम्मीद
देहरादून जिले में डीएम सविन बंसल की अगुवाई में शुरू किए गए हिलांस आउटलेट्स एक ऐसी पहल हैं, जो महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा दे रही हैं। इन आउटलेट्स का निर्माण कलेक्ट्रेट परिसर, सुद्धोवाला, कोरोनेशन अस्पताल और गुच्चुपानी जैसे प्रमुख स्थानों पर किया गया है। लगभग 80 लाख रुपये की लागत से तैयार इन आउटलेट्स में से तीन का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है, और जल्द ही मुख्यमंत्री द्वारा इनका उद्घाटन किया जाएगा। प्रत्येक आउटलेट पर कम से कम 25 महिलाओं को रोजगार मिलेगा, जिससे उनके परिवारों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
स्वच्छ और पौष्टिक भोजन की गारंटी
ये आउटलेट्स न केवल रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं, बल्कि आम जनता को स्वच्छ, पौष्टिक और जैविक भोजन भी उपलब्ध करा रहे हैं। चाहे वह कलेक्ट्रेट परिसर में काम करने वाले कर्मचारी हों, कोरोनेशन अस्पताल में मरीजों के परिजन हों, या गुच्चुपानी में सैर करने वाले पर्यटक, सभी को स्थानीय व्यंजनों और जैविक उत्पादों का स्वाद चखने का मौका मिलेगा। ये आउटलेट्स उत्तराखंड के पारंपरिक खान-पान को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यटकों को पहाड़ी संस्कृति से जोड़ने का काम भी कर रहे हैं।
स्थानीय उत्पादों को मिलेगा नया बाजार
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में उत्पादित जैविक अनाज, मसाले, और हस्तशिल्प अब इन आउटलेट्स के माध्यम से देश-विदेश के पर्यटकों तक पहुंच रहे हैं। महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा संचालित ये आउटलेट्स स्थानीय उत्पादों के लिए एक मजबूत विपणन मंच प्रदान कर रहे हैं। गुच्चुपानी जैसे पर्यटन स्थलों पर स्थापित आउटलेट्स पर्यटकों को उत्तराखंड की समृद्ध खाद्य संस्कृति और उत्पादों से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। इससे न केवल स्थानीय अर्थव्यवस्था को बल मिलेगा, बल्कि महिला समूहों की आय में भी वृद्धि होगी।
डीएम सविन बंसल का प्रेरणादायक योगदान
डीएम सविन बंसल का यह प्रयास नया नहीं है। इससे पहले नैनीताल में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने 15 ऐसे आउटलेट्स की स्थापना की थी, जो आज भी सफलतापूर्वक संचालित हो रहे हैं। इन आउटलेट्स ने न केवल महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि स्थानीय उत्पादों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। देहरादून में भी उनकी यह पहल अब धरातल पर उतर रही है, और आने वाले समय में यह जिला अन्य क्षेत्रों के लिए एक मिसाल बन सकता है।
जनसुविधा और रोजगार का अनूठा संगम
ये आउटलेट्स सिर्फ रोजगार सृजन तक सीमित नहीं हैं। ये जनसुविधा को भी बढ़ावा दे रहे हैं। उदाहरण के लिए, कोरोनेशन अस्पताल में आने वाले मरीजों के परिजनों को अब पौष्टिक भोजन आसानी से उपलब्ध होगा। वहीं, कलेक्ट्रेट परिसर में काम करने वाले कर्मचारियों और आगंतुकों को स्थानीय व्यंजनों का स्वाद लेने का मौका मिलेगा। सुद्धोवाला और गुच्चुपानी जैसे स्थानों पर ये आउटलेट्स पर्यटकों के लिए भी सुविधाजनक साबित होंगे।
एक उज्ज्वल भविष्य की ओर
डीएम सविन बंसल की यह पहल न केवल महिलाओं को सशक्त बना रही है, बल्कि उत्तराखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रही है। इन आउटलेट्स के माध्यम से जहां स्थानीय उत्पादों को बाजार मिल रहा है, वहीं पर्यटकों को उत्तराखंड की समृद्ध संस्कृति और स्वाद का अनुभव हो रहा है। यह पहल निश्चित रूप से आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।