Haldwani Violence: मौत के मुंह से नहीं थी आने की उम्मीद, फिर फ़रिश्ते बने दो युवक

डंके की चोट पर 'सिर्फ सच'

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Haldwani Violence: मौत के मुंह से नहीं थी आने की उम्मीद, फिर फ़रिश्ते बने दो युवक

Haldwani Violence


हल्द्वानी। उत्तराखंड के हल्द्वानी में भयानक हिंसा हुई है. अवैध रूप से बने मदरसे और मस्जिद के खिलाफ नगर निगम की कार्रवाई के विरोध में भीड़ ने पथराव कर दिया. लोगों ने पुलिसकर्मियों और प्रशासन को निशाना बनाना शुरू कर दिया. कई जगहों पर तोड़फोड़ और आगजनी हुई. हालात को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने हल्द्वानी में कर्फ्यू लगा दिया है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, अमर उजाला के फोटोग्राफर राजेंद्र सिंह बिष्ट ने बताया कि मैं शाम चार बजे मलिक के बगीचे में पहुंचा, तो वहां बड़ी संख्या में लोग विरोध कर रहे थे। थोड़ी देर में छतों से पथराव शुरू हो गया। फोर्स भागने लगी। उपद्रवियों ने मुझे और दो-तीन पुलिस वालों को पकड़ लिया। लाठी-डंडे से पीटने लगे। पत्थरों से मारने लगे। 

मैंने बताया- मैं अखबार से हूं, पर वे नहीं माने। हिंसक भीड़ मुझे बुरी तरह पीट रही थी। उन्होंने मुझे आग में धक्का दे दिया। लगा, जिंदगी खत्म होने वाली है। भीड़ मारो-मारो चिल्ला रही थी। भय से मेरी आंखें बंद हो गईं। इसी बीच, दो युवक पहुंचे। वे मुझे पहचानते थे। किसी तरह वे मुझे खींचकर धर्मस्थल की ओर ले गए। मुझे मारने के लिए उपद्रवी भी पीछे-पीछे आ रहे थे। दोनों युवकों ने धर्मस्थल का दरवाजा खुलवाकर किसी तरह मुझे धकेला। इस बीच, उपद्रवियों ने मेरा कैमरा छीन लिया। मैं अंदर घुस गया और लोगों ने दरवाजा बंद कर दिया। तब जाकर जान में जान आई।