UCC Uttarakhand Updates : सरकारी कर्मचारियों के लिए विवाह पंजीकरण अनिवार्य, नहीं मानने पर होगी सख्त कार्रवाई!
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देहरादून : उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने की दिशा में एक और बड़ा कदम उठाया गया है। राज्य सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए यूसीसी पोर्टल पर विवाह पंजीकरण को अनिवार्य कर दिया है। सोमवार को मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने इस संबंध में सख्त निर्देश जारी किए।
उनका कहना है कि जिन कर्मचारियों का विवाह 26 मार्च 2010 के बाद हुआ है, उन्हें यूसीसी पोर्टल पर अपने विवाह का पंजीकरण कराना होगा। यह फैसला न केवल प्रशासनिक पारदर्शिता को बढ़ाएगा, बल्कि राज्य में समान कानून व्यवस्था को मजबूत करने की दिशा में भी अहम साबित होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कदम कर्मचारियों के लिए अतिरिक्त बोझ बन जाएगा या फिर यह एक सुगम प्रक्रिया होगी?
मुख्य सचिव ने सभी विभागों के प्रमुखों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में नोडल अधिकारी नियुक्त करें। इन नोडल अधिकारियों की जिम्मेदारी होगी कि वे अपने क्षेत्र के सभी विवाहित कर्मचारियों का पंजीकरण समय पर कराएं और इसकी प्रगति रिपोर्ट हर हफ्ते सचिव गृह को सौंपें।
राधा रतूड़ी ने यह भी स्पष्ट किया कि पंजीकरण प्रक्रिया में किसी भी तरह की तकनीकी अड़चन नहीं आनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) के निदेशक को विशेष निर्देश दिए हैं। निदेशक को कहा गया है कि वे सभी जिलों और विभागों को जरूरी तकनीकी सहायता मुहैया कराएं, ताकि पंजीकरण निर्बाध रूप से हो सके।
इसके साथ ही, अपर मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने भी सोमवार को इस मुद्दे पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि यूसीसी पोर्टल पर पंजीकरण सरकार की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है, जो राज्य में सभी नागरिकों के लिए एकसमान कानूनी ढांचा तैयार करना चाहती है। यह कदम उन कर्मचारियों पर लागू होगा, जिनका विवाह पिछले 15 सालों में हुआ है। लेकिन क्या यह व्यवस्था ग्रामीण इलाकों में भी उतनी ही प्रभावी होगी, जहां इंटरनेट और तकनीकी सुविधाएं अभी भी सीमित हैं? यह देखना दिलचस्प होगा।
आईटीडीए को तकनीकी सहायता का जिम्मा इसलिए सौंपा गया है, क्योंकि यूसीसी पोर्टल एक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है, जिसके जरिए सभी पंजीकरण प्रक्रियाएं पूरी की जानी हैं। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि अगर किसी जिले या विभाग को अतिरिक्त संसाधनों की जरूरत पड़े, तो वे तुरंत आईटीडीए से संपर्क करें।
इस पहल का मकसद सिर्फ कागजी कार्रवाई पूरी करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि राज्य के हर कोने में यूसीसी का प्रभाव एकसमान हो। यह कदम उत्तराखंड को देश का पहला ऐसा राज्य बनाए रखने की दिशा में भी है, जहां समान नागरिक संहिता को पूरी तरह लागू किया जा रहा है।
हालांकि, इस फैसले से कुछ सवाल भी उठ रहे हैं। क्या सभी कर्मचारी इस समयबद्ध प्रक्रिया का पालन कर पाएंगे? क्या तकनीकी सहायता हर जगह समय पर पहुंच सकेगी? इन सवालों का जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा। अभी के लिए इतना तय है कि सरकार इस दिशा में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती। यह देखते हुए कि यूसीसी लागू होने के बाद से ही राज्य में कई बदलाव देखने को मिले हैं, यह नया निर्देश भी उसी कड़ी का हिस्सा माना जा रहा है।