चलने-फिरने में असमर्थ महिला पहुँची SSP ऑफिस, कुछ घंटों में ही वापस मिला अपना घर

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चलने-फिरने में असमर्थ महिला पहुँची SSP ऑफिस, कुछ घंटों में ही वापस मिला अपना घर

Doon

Photo Credit: UPUKLive


देहरादून की सड़कों पर एक 85 वर्षीय बुजुर्ग महिला, प्रवीन इलियास, अपनी जिंदगी की सबसे मुश्किल लड़ाई लड़ रही थीं। शिमला बाईपास, पटेलनगर में रहने वाली इस महिला को चलने-फिरने में तकलीफ थी, फिर भी वह अपनी शिकायत लेकर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) देहरादून के दफ्तर पहुंचीं।

उनकी आंखों में उम्मीद थी, लेकिन चेहरा गहरी निराशा और लाचारी का गवाह था। तीन महीने पहले उन्होंने अपने घर को किराये पर दिया था, लेकिन किरायेदार ने न तो किराया दिया और न ही घर खाली करने की जहमत उठाई। अकेली और असहाय प्रवीन के पास कोई रास्ता नहीं बचा था। लेकिन देहरादून पुलिस ने एक बार फिर साबित किया कि वह जरूरतमंदों की सच्ची सहारा हो सकती है।

प्रवीन इलियास ने एसएसपी देहरादून को बताया कि उनके किरायेदार, अब्दुर्रहमान, ने घर पर कब्जा जमा लिया था। किराया मांगने पर वह उन्हें परेशान करता था। परिवार का कोई सदस्य उनके साथ नहीं था, जिसके चलते वह इस मुसीबत से अकेले जूझ रही थीं। उनकी बात सुनकर एसएसपी ने तुरंत संवेदनशीलता दिखाई।

वह खुद अपने कार्यालय से बाहर आए और भूतल पर बुजुर्ग महिला से मुलाकात की। उनकी पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद, एसएसपी ने पटेलनगर थाने के प्रभारी निरीक्षक को तत्काल कार्रवाई के निर्देश दिए। 

पुलिस ने बिना देरी किए किरायेदार अब्दुर्रहमान को थाने बुलाया। दोनों पक्षों के बीच सौहार्दपूर्ण बातचीत कराई गई। पुलिस की समझाइश और सख्ती का असर हुआ। अब्दुर्रहमान ने अपनी गलती मानी और कुछ ही घंटों में प्रवीन का घर खाली कर दिया। इस त्वरित कार्रवाई ने न केवल बुजुर्ग महिला को उनका हक दिलाया, बल्कि उनके चेहरे पर मुस्कान भी लौटा दी।

प्रवीन ने भावुक होकर देहरादून पुलिस और एसएसपी का दिल से आभार जताया। उन्होंने कहा, "मैंने सोचा था कि अब कोई मेरी मदद नहीं करेगा, लेकिन पुलिस ने मुझे नया विश्वास दिया।"

देहरादून पुलिस की यह कार्रवाई एक मिसाल है। यह दिखाता है कि कानून और संवेदनशीलता का सही तालमेल कितना प्रभावी हो सकता है। प्रवीन जैसी असहाय महिलाओं के लिए यह न केवल न्याय की जीत है, बल्कि समाज में विश्वास की बहाली भी है। देहरादून पुलिस ने एक बार फिर साबित किया कि वह हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है, जो मुश्किल में है।