उत्तरकाशी में आग की लपटों ने 15 परिवारों को घर से किया बेघर, अग्निकांड में हुई महिला की मौत

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उत्तरकाशी में आग की लपटों ने 15 परिवारों को घर से किया बेघर, अग्निकांड में हुई महिला की मौत

Fire in Uttar Kashi

Photo Credit: UPUKLive


उत्तरकाशी : उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के मोरी तहसील स्थित सावणी गांव में देर रात भीषण आग लगने से गांव में भारी तबाही मच गई। आग इतनी विकराल थी कि एक घर से शुरू होकर कई घरों को अपनी चपेट में ले लिया। घरों की ज्यादातर संरचना लकड़ी की थी, जिससे आग और तेजी से फैल गई। आग पर काबू पाना और भी मुश्किल हो गया क्योंकि गांव में पानी की भारी कमी थी। नतीजतन, नौ घर जलकर राख हो गए और इस दौरान एक महिला की जान भी चली गई।

सावणी गांव में यह घटना रात करीब दस बजे हुई थी, जब एक घर में पूजा के दौरान जलते दीये से आग लगी। यह आग तेजी से फैलते हुए कई घरों को अपनी चपेट में ले गई। घटना की जानकारी मिलने के बाद एसडीआरएफ, पुलिस, फायर सर्विस, राजस्व और वन विभाग की टीमें मौके पर पहुंची, लेकिन तब तक आग विकराल रूप धारण कर चुकी थी। सड़क से गांव की दूरी करीब पांच किलोमीटर होने के कारण राहत कार्य में देरी हुई, जिससे आग पर काबू पाना और भी कठिन हो गया।

एसडीआरएफ और फायर सर्विस की टीम ने सुबह तक कड़ी मेहनत के बाद आग पर काबू पाया। तब तक नौ घर जलकर राख हो चुके थे, जिनमें से तीन को पूरी तरह से और दो को आंशिक रूप से तोड़ा गया था। इस दौरान गांव में पानी की कमी और आग के तेज फैलाव के कारण राहत कार्य में और भी कठिनाइयां आईं।

इस अग्निकांड में एक बुजुर्ग महिला, ब्रह्मा देवी (75), की मौत हो गई। राहत और बचाव कार्य के दौरान एसडीआरएफ की टीम ने जले हुए घरों के मलबे में दबे शव को बाहर निकाला। यह महिला अपनी 75 वर्ष की उम्र में आग की चपेट में आकर लापता हो गई थी। उनकी पहचान ब्रह्मा देवी, नेगी सिंह की पत्नी के रूप में हुई है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मोरी ब्लॉक के सावणी गांव में आग से प्रभावित परिवारों को जल्द से जल्द सहायता देने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने जिला प्रशासन को राहत और पुनर्वास कार्य तुरंत शुरू करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारी को निर्देश दिया कि प्रभावित परिवारों को जरूरी सामग्री, भोजन, कपड़े और अस्थायी आश्रय की व्यवस्था प्राथमिकता के आधार पर की जाए।

गांव में पिछले कुछ वर्षों में यह दूसरी बार आग की घटना है। वर्ष 2018 में भी यहां बड़े पैमाने पर अग्निकांड हुआ था, जिसमें 39 घर जलकर राख हो गए थे और 60 मवेशियों की भी मौत हो गई थी। एक साल पहले भी यहां आग ने तांडव मचाया था, जिसमें दस से अधिक लोग लकड़ी के मकानों के जलने से बेघर हो गए थे।

यह घटनाएं सावणी गांव की ग्रामीणों के लिए एक बड़ा संकट बन चुकी हैं, और प्रशासन को इन गांवों में अग्नि सुरक्षा की व्यवस्था को बेहतर बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। स्थानीय लोग भी अब आग से बचने के उपायों और घरों की संरचना में सुधार की जरूरत को महसूस कर रहे हैं, ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से बचा जा सके।

इस घटना ने स्थानीय प्रशासन और सरकार को फिर से सचेत किया है कि गांवों में सुरक्षित बस्तियां और उपयुक्त अग्नि सुरक्षा उपायों को लागू करने की आवश्यकता है, ताकि किसी और गांव में इस तरह की भयानक घटना न घटे।